copyrights protected
एक कोशिश
"इन्दवशा छंद" विधान:-(२२१ २२१ १२१ २१२) ~~~~~~~~~~~~~~~~
आकाश का फूल बना देखा तुझे, आसान पाना कब हो सका तुझे। आशा निराशा बनती रही सदा , कोई खुशी तो मिलती यदा कदा।
प्रीति सुराना
सुन्दर ।
सुन्दर ।
ReplyDelete