Tuesday 10 December 2019

लम्हें



गुज़र के भी कहाँ गुज़र पाते हैं वो लम्हें जिंदगी के,
जो दिल की धड़कनों और साँसों से जोड़ लेते हैं रिश्ते,
जितना चाहें कि भूल जाएं कुछ किस्से बीते कल के,
बनकर याद, ख़्वाब, जरुरत, साथ आ ही जाते हैं।

प्रीति सुराना

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