*लोकतंत्र का मान, जनादेश का सम्मान।*
जिन्हें जितनी भी बुराई गिनानी हो, जितने भी पासे और पैसे फेंकने हो, आगे बढ़ने वालों की टांगे खींचने में कितनी भी माहरत हासिल हो, जीतता वही है जिसे अपने दोनों हाथों से अपने साथ चलने वालों का हाथ थामकर चलना आता है। हाथ का उपयोग टांग खींचने, अंगूठा दिखाने या उंगली उठाने की बजाय अपने साथियों का हाथ थाम कर उसे ऊपर उठाने में किया जाना चाहिए वो आपको भी ऊंचाई प्रदान करेगा ये बात आज सोदाहरण सिद्ध हुई।
व्यक्ति नहीं जनता ने राजा चुना है और चुनने के अधिकार का स्वतंत्रतापूर्वक उपयोग करके और यही है सच्चा लोकतंत्र जिसमें प्राप्त जनादेश का खुले दिल से स्वागत, सत्कार और सम्मान है।
भरा हुआ गुबार मन का आज पिघलेगा
सत्य का दीपक ग्रहण को आज निगलेगा
जन-जन का सपना था अखंड भारत हो
साकार स्वप्न का विजय रथ आज निकलेगा
प्रीति सुराना
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