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मन के मनके हों मन के धागों में पिरोने के लिए कुछ पाना हो तो तैयार रहना कुछ खोने के लिए यूँ ही नहीं बनते या निभते मन के अटूट रिश्ते अपना होना होता है अपनों का होने के लिए!
प्रीति सुराना
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