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जाते-जाते असमय बदलता हुआ मौसम इस बार मेरे कानों में हौले से ये कह गया एक जरुरी सबक जिंदगी भर याद रखना अंधविश्वास कभी खुद पर भी मत करना!
डॉ. प्रीति सुराना
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