Sunday, 3 February 2019

सुविधा

कुछ भी लिखते हुए
सिर्फ ये कोशिश करती हूँ
जो कहना चाहती हूँ
वो समझने में पाठक को हो सुविधा
कभी ध्यान ही नहीं गया
जो मैंने कहना चाहा या लिखा
लोग कहने लगे हैं
ये भी है काव्य की एक विधा

प्रीति सुराना

No comments:

Post a Comment