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धड़कने है बेकाबू मैं बेचैन सी हूँ अमावस की खामोश अंधेरी रैन सी हूँ क्यों, क्या, कैसे का न कोई पता है आँसू छुपाते भीगे नैन सी हूँ,..!
प्रीति सुराना
बहुत खूब
बहुत खूब
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