जीवनधन
गहनों से भी कीमती हैं रिश्ते मेरे लिये,...
चोरी के डर से
गहनों की सुरक्षा का
विशेष ध्यान रखना पड़ता है
हर बार
हर त्यौहार
हर आयोजन में नुमाइश के बाद,..
पर रिश्ते
सहेजे जाते हैं
संभाले जाते हैं
उनकी सुरक्षा के लिए नहीं
बल्कि इस लिए की रह सकें
रिश्तों के सुरक्षा कवच में
हमारे सपने
हमारे अरमान और हम,..
सिर्फ इसीलिए रिश्ते
नुमाईश नहीं सार संभाल मांगते हैं
गहनों से ज्यादा
खुद से पहले
सच-झूठ विश्वास-संदेह के
हर समीकरण से परे
हमेशा, हर पल, हर सुख-दुख में,..
अनवरत,...!
प्रीति सुराना
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