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तेरा-मेरा के फेर में जो हमारा था वो खो दिया, सब तो साँझा था बंटवारे में किसको क्या दिया, टुकड़े-टुकड़े अरमानों के आँगन में बिखरे पड़े, नज़ारा देखकर पलकों पर रखा सपना रो दिया,..!
प्रीति सुराना
सुंदर
सुंदर
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