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वफ़ा मिली चाहत मिली भरोसा मिला पर लौटाने की औकात नहीं रही नीयत खराब थी सब रख लिया छुपाकर लो आज दिवालिया घोषित किया खुद को सरे बाज़ार हमनें,...!
प्रीति सुराना
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