तीखी चुभन
टीसता हुआ मन
कैसा मौसम।
कैसा मौसम
खुद से अनबन
सूना चमन।
सूना चमन
हवाएँ पतझड़ी
मैं विरहन।
मैं विरहन
ढूंढती अपनापन
दूर गगन।
दूर गगन
छूने लेने की जिद
पूरी लगन।
पूरी लगन
परीक्षा है कठिन
करूँ जतन।
करूँ जतन
होंगे ही एक दिन
पूरे सपन।
प्रीति सुराना
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