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कस्तूरी सा मेरे भीतर प्रेम समाया है तेरा फिर भी पीड़ा से है जाने कितना गहरा नाता मेरा पता नहीं मैं पीड़ा में हूँ या फिर पीड़ा मुझमें है पर सच इसी पीड़ा में छुपा है प्रेम का नया सवेरा
प्रीति सुराना
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