copyrights protected
मेरे बाद कोई मुझे किस नज़र से देखे ये मैं खुद जांच लूँ कौन किधर से देखे हर दिशा में भेजूँ अपनी ही आत्मा को निखर कर दिखूं लोग चाहे जिधर से देखे। प्रीति सुराना
No comments:
Post a Comment