दर्द कोई गहरा लगता है
होठों पर पहरा लगता है
कहना चाहे न कहा जाये
डर मन में ठहरा लगता है
सब दिखता बाहर से सुन्दर
दामन भी लहरा लगता है
हार नहीं कोई दिखती है
परचम भी फहरा लगता है
घुटते रहना मन ही मन में
गुलशन भी सहरा लगता है
सुन न सका जो धड़कन दिल की
प्रीत जहां बहरा लगता है,.... प्रीति सुराना
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