बेसबब बेबात ही तुम रूठते।
चैन दिल का इस तरह हो लूटते।
तुम नहीं जो साथ तो चलना नहीं,
यूं नहीं साथी डगर में छूटते।
साथ रहते तुम अगर मेरे सदा,
तो खुशी होती, हंसी क्यूं भूलते?
जो चुरा लेते तुझे तकदीर से,
पीर भी सहकर खुशी से झूमते?
हो रुँधी आवाज़ ही ग़र दर्द से ,
'प्रीत' के तब राग कैसे फूटते,... प्रीति सुराना
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