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बिलखकर रो पडूँ इस पल बस यही चाहे ये मन, तुम जो पास होते मेरे तो भिगो लिया होता दामन, कदम-कदम पर है उलझन, बेबसी, तड़प और मायूसी मिटा के रख दिया होता जो तुम्हें सौंपा न होता जीवन।।
प्रीति सुराना
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