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बदलते हुए मंजर से हम कभी डरते नहीं, जिंदादिल हैं हम यूँ बात-बात पर मरते नहीं, एक और ख़ासियत रख़ते है शख़्सियत में अपनी, जो निभा न सकें हम कभी वो वादे करते नहीं,....
प्रीति सुराना
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