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सुना है आज आज़ादी के उनहत्तर साल बीते हैं, अभी भी लोग मगर देखो यहां बदहाल जीते हैं, कभी जिस देश को कहते थे सोने की चिरैय्या सब आज देखो बिना रोटी के कितने पेट रीते हैं,.. प्रीति सुराना
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