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कहां आसान है ये जो यहां चाहें कमा ले हम, नहीं आसान ये भी तो नई दुनिया बसा ले हम, यहां बरसात होगी ही पड़ा सूखा अभी तो क्या, चलो अब हाथ में अपने ज़रा पत्थर उठा लें हम,.. प्रीति सुराना
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