अन्तरा शब्दशक्ति के साथ
*साल के 52 सप्ताह*
52 सप्ताह में
प्रति सप्ताह तीन दिन
शब्द, पंक्ति या चित्र पर कविता लिखना
यानि
कम से कम 156 कविताएँ,..
प्रति सप्ताह नए विषय पर
500 शब्दों में एक आलेख
यानि 52 आलेख
कम से कम 156 पन्नों का गद्य लेखन,..
प्रति सप्ताह नए विषय पर
एक कथा/कहानी
यानि 52 कथा/कहानी
कम से कम 80 पन्नों का कहानियों का संकलन,..
साल में एक बार0 रचनाओं की समीक्षा
यानि
कम से कम 16 पन्नों की सृजक सृजन समीक्षा पुस्तिका,..
महीने में कम से कम एक लाइव आयोजन,..
साल में 12 सरप्राइज साझा संकलन,..
साल में कम से कम 4 सम्मान समारोह
वो भी प्रकाशन योजना सहित,..!
यानि
एक रचनाकार के
कम से कम 4 संकलन तैयार होने का पूरा अवसर!
एक परिवार जैसा माहौल,
मान-सम्मान, स्नेह, मित्रता, सकारात्मकता, रचनात्मकता,
और सबसे महत्वपूर्ण अपने आपको एक पृथक पहचान देना!
पुस्तकों को राष्ट्रीय पुस्तकालय
और अन्तरा शब्दशक्ति पुस्तकालय में संग्रहित करना
यानि हमारी रचनाओं का सुरक्षित हो जाना,..!
हमारे बाद भी हमारा लिखा कहीं न कहीं तो होगा,
कभी न कभी तो पढ़ा जाएगा,
इतिहास गवाह है,..
टंकित शब्दों ने हमेशा कालचक्र की गवाही दी है,
इस तरह हम बन जाते हैं समय साक्षी,..!
*कुछ तो बात है*
जो अन्तरा शब्दशक्ति को जीवित रखेगा सदा-सदा
साहित्य की अनवरत यात्रा के लिए,..!
साहित्यानुरागी स्वजनों,
बस चलते रहना यूँही मेरे साथ मेरे सहयात्री बनकर,..!
संस्थापक
डॉ प्रीति समकित सुराना
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