Tuesday, 3 December 2019

दादी बनने का सुख



सारे सुख एक तरफ
और दादी बनने का सुख एक तरफ
मासी दादी की गोद में 'छुटकू'
और साथ बैठी दादी(मेरी दीदी)
और सेवा करती मम्मी(बहु)
कितना सुखद सब कुछ
और साथ ही वक़्त की रफ्तार पर अचरज
कल तक हम बहने बच्ची हुआ करती थीं
आज हमारे बच्चे इतने बड़े हो गए
कि एक के बाद एक 
भतीजे-भतीजियों और भानजे-की शादियाँ 
नाती-पोते की किलकारियाँ
और तन्मय जयति जैनम के लिए जागते अरमान
आखिर ये तीनों भी 18 जो पार कर गए।
सपने अनचाहे ही आँखों में तैर जाते हैं,..!😊

प्रीति सुराना

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