"मेरा मन"
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Tuesday, 10 December 2019
सपनों की बातें
किससे कहूँ मन के सुकून की चाहतें-वाहतें,
कैसे काटूँ बेचैन से दिन और लंबी-लंबी रातें,
मेरे स्वप्न सारे अब बड़े होने लगे हैं धीरे-धीरे,
कैसे रोकूँ सपनों का बचपन, सपनों की बातें।
प्रीति सुराना
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