फिर भी ख़्वाब सुनहरे होंगे
ज़ख्म बहुत ही गहरे होंगे
ख्वाबों पर कई पहरे होंगे
देख समझकर भी जो चुप हैं
वो अंतर्मन से बहरे होंगे
दिखता चाहे जो भी हो पर
एक चेहरे पर कई चेहरे होंगे
खुशी झलक दिखलाए जहाँ पर
उस मोड़ पे गम भी ठहरे होंगे
मन की हार छुपाई होगी
परचम तब जीत के लहरे होंगे
आज अगर टूटा है मंजर
फिर भी ख्वाब सुनहरे होंगे
प्रीति सुराना
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