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सत्य स्वयं सिद्ध है हर वाद का ये मर्म है कथनी करनी एक हो मानवता का धर्म है स्व, पर, लोक हित निहित आचरण में हो सद्भावना को शब्द देना लेखनी का कर्म है
प्रीति सुराना
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