*मेरी अब तक प्रकाशित पुस्तकें और मैं*
*मन की बात* कहने को
*मेरा मन* हरदम तरसा
*दादा जी की वंश वाटिका*
*कर्म इकतीसा* में मर्म बरसा
फिर *कतरा कतरा मेरा मन*
*दृष्टिकोण* में हुआ मुखरित
*विचार क्रांति* कैसे लाएं
*काश! कभी सोचा होता*
*गद्य लेखन का महत्व* भी
*सुनो! बात मेरे मन की*
*छोटी छोटी बातें* सिखलाता
हमारा *अन्तरा शब्द शक्ति*
मेरी किताबों में मैं ही हूँ
मेरी अपनी परिभाषा है
कहा-अनकहा मन का
मेरी आशा है निराशा है
प्रीति सुराना
बहुत सुन्दर
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