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कुछ अधूरे सपनों ने फिर उड़ान भरी है आज, हिम्मत कभी हारी नहीं इस बात पर है नाज, साथ है आशीष बड़ों का और बच्चों का प्यार, इसलिए सुनती हूँ हरदम अपने मन की आवाज।
प्रीति सुराना
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