हिन्दी
मेरे लिए
केवल भाषा नहीं है
हिंदी
मेरे देश की
संस्कृति की परिचायक
सभ्यता की वाहक
संपर्क का माध्यम है!
बहुभाषा का ज्ञान
अवश्य ही गर्व का विषय है
पर मातृभाषा का ज्ञान
हमारा नैतिक कर्तव्य है!
राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगीत, राष्ट्र गान
राष्ट्रीय पशु, पक्षी और पुष्प
राष्ट्र पिता, राष्ट्रपति, राष्ट्र गुरु
राष्ट्र का हर प्रतीक प्रतिनिधि है
हमारे देश का,..
तो फिर क्यों हम राष्ट्रभाषा से वंचित हैं
जबकि हिन्दी हमारी आन-बान-शान है,
हिन्दी हमारी पहचान है,
जय हिन्द,जय हिन्दी!
प्रीति सुराना
संस्थापक
अन्तरा शब्दशक्ति
(हिन्दी के प्रचार प्रसार हेतु प्रतिबध्द)
No comments:
Post a Comment