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भादो आया
सावन तो बीत गया था बिना पलकों को भिगाये, तभी बादल खूब बरसे भादो ने तेवर बतलाये, जी सकते हैं रोये बिना बस मैं सोच ही रही थी, सब ने रंग बदल लिया क्या अपने क्या पराये,...!
प्रीति सुराना
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