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दर्द सहते रहे और ताउम्र चैन से सो न सके बहुत रोये पर अपनी पलकें भी भिगो न सके कुछ हालात, कुछ जिम्मेदारियाँ, कुछ आदत पत्थर तो बन गए पर पत्थर दिल हो न सके।
प्रीति सुराना
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