copyrights protected
गहनतम पीर है नयनभर नीर है
रात लम्बी बहुत मान लो चीर है
पल पल चुभ रहे जहर के तीर है
घुटन है दर्द है शेष ना धीर है
ग़ज़ल कह दे अभी कौन सा मीर है
सह मिला जो तुझे प्रीत तू वीर है।
प्रीति सुराना
No comments:
Post a Comment