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बहुत कठिन होता है हरदम खुद से खुद तक का सफर, अकसर सबको मिल जाती है कांटों वाली ही डगर, जिस तक जाने की हो चाह चाहे उस जग में हो प्रेम, फिर भी खुद से परिचय के बिन नामुमकिन है गुजर-बसर!
प्रीति सुराना
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