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माँ की कोख में आई जब से, सांसे जब से हुई शुरु, समय का प्रतिक्षण है तब से, मेरे जीवन का प्रथम गुरु, कालचक्र ने जिससे भी जोड़ा, या जिसने भी राह में छोड़ा, सीखा सबसे समय-समय पर, सबको आज नमन करुँ,...!
प्रीति सुराना
बहुत सुन्दर
बहुत सुन्दर
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