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बीते लम्हे याद दिलाते कुछ करने की ठानी है हिम्मत, मेहनत और किस्मत का और नहीं कोई सानी है लक्ष्य सदा सम्मान दिलाना सभ्यता और संस्कृति को अपनी याद रहे यह अंतिम क्षण तक हिन्दी से हिन्द और हिंदुस्तानी है
प्रीति सुराना
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