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गहन तम घनघोर घटाएं बरसे नैन।
लड़ते घन चमकती चपला लुटता चैन।
बदली संग लुकाछुपी रवि की मन बेचैन।
रवि छुपता बादल की ओट में दिन में रैन।
प्रीति सुराना
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