copyrights protected
हां! सुख की किरचें ही तो थी क्योंकि टुकड़ों में मिलता रहा सुख अकसर बेशुमार दर्द के पहले और दर्द भी इतना बेदर्द कि कुरचता रहा उन सुख के टुकड़ों को आज गलती से कुछ किरचें आँखों में पड़ गई,... आँखों का बरसना अब तक जारी है,...प्रीति सुराना
No comments:
Post a Comment