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उदासियों के घेरे और गहरे घने अंधेरे, बेचैन सा है मन ये कैसे समय के फेरे, न सुकून एक पल का न करार ही ज़रा सा, जिस ओर भी मैं देखूं दिखते हैं गम के डेरे,.. प्रीति सुराना
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