Wednesday 11 September 2019

तेरी भी मेरी भी

तेरी भी मेरी भी

नादानियाँ सारी भुला दें तेरी भी मेरी भी,
याद सिर्फ खुशियाँ रहे तेरी भी मेरी भी।

गलतियाँ जो भी हुई वो महज गलतियाँ थी,
समझ ज़रा कच्ची रही तेरी भी मेरी भी।

बातें कुछ ऐसी हुई जो तोड़ गई रिश्ते-नाते,
कमजोरियाँ दिखने लगी तेरी भी मेरी भी।

मैं जो मेरे भीतर था, मैं जो तेरे भीतर था,
दुख की बस ये ही वजह थी तेरी भी मेरी भी।

दूर हो मतभेद सारे, दूर हो मन की थकन,
जिंदगी अनमोल है यह तेरी भी मेरी भी।

प्रीति सुराना

3 comments:

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना गुरुवार १२ सितंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  3. मैं जो मेरे भीतर था, मैं जो तेरे भीतर था,
    दुख की बस ये ही वजह थी तेरी भी मेरी भी।
    वाह!!!
    बहुत लाजवाब...

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