Sunday 25 November 2018

मन के फेरे

है तेरे-मेरे,
ये मन के फेरे,
मन में अनगिन,
सपनों के डेरे।

नाते न तोड़,
यूँ मुख न मोड़,
जो भी है गिला
सब कुछ छोड़।

सुधरेंगे हालात,
नहीं होगी मात,
पूरे होंगे सब सपने
बनेगी हर बात।

ले हाथों में हाथ
तू चल मेरे साथ
जीवन जी ले
समय ही है नाथ।

प्रीति सुराना

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