हाँ!
मेरी मुहब्बत बच्चों सी मासूम है
ज़िद, गुस्सा, लड़ाई, अबोलापन,
सब कुछ शामिल है
पल पल में,..
पर सुनो!
एक बार रोते-रोते सो जाऊँ
तो
फिर अगली सुबह
माँ की गोद की तरह,
सिर्फ
तुम्हारा आलिंगन याद रहता है,...
प्रीति सुराना
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हाँ!
मेरी मुहब्बत बच्चों सी मासूम है
ज़िद, गुस्सा, लड़ाई, अबोलापन,
सब कुछ शामिल है
पल पल में,..
पर सुनो!
एक बार रोते-रोते सो जाऊँ
तो
फिर अगली सुबह
माँ की गोद की तरह,
सिर्फ
तुम्हारा आलिंगन याद रहता है,...
प्रीति सुराना
जोरदार लेखन
ReplyDeleteआपकी हर कविता में मोहब्बत छलकती है वो भी बेशुमार