Friday 20 July 2018

शब्दों के लिबास

सुनो!
मैं जब भी
कुछ कहना चाहती हूं
तुमसे
जाने क्यों
शब्द धोखा दे जाते
भाव कुछ
और
भावार्थ कुछ और ही हो जाता है,...
आज सोच लिया मैंने
अपने प्यार को
शब्दों के लिबास से कभी नहीं करूंगी अलंकृत,..
न कोई कोशिश करूंगी
कि मेरे किसी कर्म से झलके मेरा प्यार...
कोई माध्यम नहीं मेरे पास
जिससे
तुम तक
संप्रेषित कर सकूँ अपने प्रेम को
तो
तय रहा
आज से सिर्फ एक वाक्य में
सीधी-सादी और सच्ची बात
समझ सको तो समझना
कि,...
हाँ!
मैं तुमसे प्रेम करती हूँ
सब से ज्यादा
रब से ज्यादा,...

प्रीति सुराना

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