Tuesday 1 December 2015

साथी

तनहाई में हरपल तेरी ही याद आती है।
लाख छुपाऊं फिर भी ये पलकें भीग जाती है।।

खुशियां महके तेरे जीवन में है दुआ मेरी।
तेरे आते ही मायूसी भी भाग जाती है।।

साथी साथ न छूटे अपना तू भी दुआ करना।
लड़ लूंगी हालातों से गर तू साथ साथी है।।

यूं तो उलझी रहती हूं अकसर मैं उलझनों में।
पर तेरे पहलू में बेचैनी चैन पाती है।।

वैसे तो ये तनहाई ही तक़दीर है मेरी।
पर तेरे साथ लगे जैसे हम दीप बाती है।।

ये सूना सूना जीवन अब ना रास आता है।
तेरी यादों की महफ़िल मुझको बहुत सुहाती है।।

यूं तो दिखलाने को हंसती हूं मैं ज़माने को।
मेरी गुनगुन सुनकर खुशियां भी गीत गाती है।।

तनहाई में हरपल तेरी ही याद आती है।
लाख छुपाऊं फिर भी ये पलकें भीग जाती है।। ,...प्रीति सुराना

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